चंबल नदी राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों से होकर बहती है, जिसका अधिकांश भाग मध्य प्रदेश की सीमा के पास है, जो लगभग 435 किलोमीटर तक फैला हुआ है। चंबल नदी मगरमच्छ, घड़ियाल और डॉल्फ़िन जैसे कई जलीय जीवों का घर है। चंबल नदी में जलीय जीवों की संख्या निर्धारित करने के लिए हर साल फरवरी में एक सर्वेक्षण किया जाता है। इस साल जलीय जीवों के विशेषज्ञ 14 फरवरी को चंबल नदी में मगरमच्छों की गिनती के लिए विशेष रूप से एक सर्वेक्षण शुरू करेंगे। निष्कर्षों की रिपोर्ट सरकार को दी जाएगी।
वर्ष 2023 के सर्वेक्षण के अनुसार चंबल नदी में 2108 घड़ियाल, 878 मगरमच्छ, 96 डॉल्फिन समेत विभिन्न जलीय जीव मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि पिछले साल के मुकाबले घड़ियालों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हो सकती है। वर्ष 1978 में चंबल नदी के 960 किलोमीटर क्षेत्र को राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल अभ्यारण्य घोषित किया गया था। तब से हर साल नदी से करीब 200 अंडे एकत्र किए जाते हैं और इनसे निकले बच्चों को देवरी घड़ियाल पुनर्वास केंद्र में कृत्रिम वातावरण में पाला जाता है। तीन साल बाद इन्हें वापस चंबल नदी में छोड़ दिया जाता है।
चंबल नदी में घड़ियालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसलिए इस साल मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में स्थित चंबल अभ्यारण्य के अधिकारी ही नहीं बल्कि राजस्थान और मध्य प्रदेश के वन्यजीव विशेषज्ञ भी 14 फरवरी से चंबल नदी में जलीय जीवों का सर्वेक्षण करेंगे। यह सर्वेक्षण 10 दिन में पूरा हो जाएगा। सर्वेक्षण के दौरान राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के विशेषज्ञों के अलावा भारतीय वन्यजीव संस्थान और अन्य संगठनों के विशेषज्ञ भी मौजूद रहेंगे।
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