उदयपुर. 16 अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी लघु फिल्म 'मां की सौगंध' का भव्य प्रीमियर और पुरस्कार समारोह शहर के अटल ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया। युवाओं में बढ़ती नशे की लत पर आधारित इस फिल्म में उदयपुर, जयपुर, चित्तौड़गढ़ और ऋषभदेव के कलाकारों ने अभिनय किया है. अटल ऑडिटोरियम में आयोजित प्रीमियर शो में पंडित जनार्दन राय नागर विद्यापीठ यूनिवर्सिटी के वीसी कर्नल प्रो. एसएस सारंगदेवोत, भाजपा शहर जिलाध्यक्ष रवींद्र श्रीमाली, डिप्टी मेयर पारस सिंघवी, डिप्टी चेतना भाटी, अंबामाता थाना अधिकारी डॉ. हनवंत सिंह राजपुरोहित, प्रताप नगर थानाप्रभारी हिमांशु सिंह राजावत मौजूद रहे. वरिष्ठ कलाकार श्रीनिवासन अय्यर के साथ प्रेरणा संस्थान के गिरीश भारती, लेक सिटी प्रेस क्लब अध्यक्ष कपिल श्रीमाली अतिथि के रूप में शामिल हुए।
फिल्म निर्माता निर्देशक अभिषेक जोशी ने कहा कि फिल्म समाज का दर्पण है और इस फिल्म के माध्यम से एक हकीकत को सामने लाया गया है और उसका समाधान भी दिया गया है. फिल्म की मूल कहानी यह है कि कैसे परिवार के मूल्य आज की युवा पीढ़ी में बढ़ती नशे की लत को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि मां की सौगंध ने तमिलनाडु, चेन्नई और कोलकाता में आयोजित महोत्सवों में कुल 16 पुरस्कार जीते हैं. इस फिल्म में शाहनवाज खान को सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का पुरस्कार, यश पांडियार साहू को सर्वश्रेष्ठ सिनेमैटोग्राफर का पुरस्कार, हिमांशु भट्ट को सर्वश्रेष्ठ लेखक का पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ गीत लेखिका आभा मेहता और फिल्म की पूरी टीम को सर्वश्रेष्ठ भारतीय लघु फिल्म का पुरस्कार मिला। वहीं डीओपी यश पंडियार ने बताया कि प्रीमियर शो के दौरान ऑडिटोरियम में मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं और सभी अपनी मां को याद कर रोने लगे. किसी फिल्म की स्क्रीनिंग के दौरान लोगों की आंखों में आंसू आना फिल्म की सफलता का प्रतीक है। फिल्म की शूटिंग सीमित संसाधनों के साथ उदयपुर की तंग गलियों, खंडहरों और मंदिरों में की गई थी। कार्यक्रम के दौरान विद्यापीठ यूनिवर्सिटी के वीसी कर्नल एसएस सारंगदेवोत ने भी कलाकारों की सराहना की और कहा कि यह फिल्म समाज को नई दिशा देने का काम करेगी. फिल्म में कुल 11 कलाकार हैं जिन्होंने आधे घंटे तक सभी को बांधे रखा. यह फिल्म यूनिवर्सिटी में सभी को दिखाई भी जाएगी.
फिल्म की कहानी लिखने वाले हिमांशु भट्ट ने बताया कि इसे सिर्फ दो दिन में शूट किया गया था. इसके दिल को छू लेने वाले गाने को आभा मेहता ने लिखा है और इसे मारिशा दीक्षित ने शाहनवाज खान के साथ अपनी मधुर आवाज से गाया है। इस फिल्म में चित्तौड़गढ़ के जूनियर अमिताभ बच्चन और महेंद्र दमानी के साथ कृष्णा नागरची ने मुख्य भूमिका निभाई है. मुकुल जैन एक मध्यमवर्गीय परिवार का इकलौता बेटा है जो बुरी संगत का शिकार हो जाता है। बाद में उसकी जिंदगी कैसे बदलती है और शहर के थिएटर आर्टिस्ट रमेश नागदा उसे कैसे पटरी पर लाते हैं, यही इस फिल्म का टर्निंग पॉइंट है। इस फिल्म की सफलता के पीछे दक्ष, निहाल, स्नेहा, विवांशी, हेमाक्षी, अर्जुन, शेखर, हर्ष और सुनील के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा संस्था नशामुक्ति केंद्र का विशेष योगदान रहा है।